Sunday, January 11, 2009

जब भी आंखों में अश्क भर आए

जब भी आंखों में अश्क भर आए,
लोग कुछ डूबते नज़र आए||

मुद्दते हो गई सहर देखे,
कोई आहट कोई ख़बर आए||

चाँद जितने भी गुम हुए शब् के,
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आए||

मुझको अपना पता ठिकाना मिले,
वो भी एक बार मेरे घर आए||

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