अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊंगा||
पूछ कर मेरा पता वक्त ज़ाया ना करो,
मैं तो बंजारा हूँ क्या जाने किधर जाऊंगा|
अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊंगा||
हर तरफ़ धुंध है, जुगनू है, ना चराग कोई,
कौन पहेचानेगा बस्ती में, अगर जाऊंगा|
अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊंगा||
ज़िंदगी में भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का|
तू जहाँ मुझ से कहेगी, मैं उतर जाऊंगा|
अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊंगा||
फूल रहे जायेंगे गुल्दामों में यादों की नज़र,
मैं तो खुशबू हूँ फिज़ाओं में बिखर जाऊंगा|
अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊंगा||