Friday, January 30, 2009

तुम बस तुम

बंद आँखें, रुकी साँसे, धड़कनों में तुम,
तुम से दूर क्या रहूँ, ऐ हुज़ूर क्या करुँ?
नज़र आते हो, बस तुम ही तुम||

तुम बस तुम, तुम बस तुम, तुम बस तुम|
नज़र आते हो, बस तुम्ही तुम|

खुली जुल्फें, झुकी पलकें,और चाहतों में तुम,
तुमको भूल ना सकूँ, ऐ हुज़ूर क्या करुँ?
नज़र आते हो, बस तुम ही तुम||

तुम बस तुम, तुम बस तुम, तुम बस तुम|
नज़र आते हो, बस तुम्ही तुम|

एक सपना निगाहों में, ख्वाहीशों में तुम,
ख्वाहीशों में तुम, बस तुम ही तुम|

तुम बस तुम, तुम बस तुम, तुम बस तुम|
नज़र आते हो, बस तुम्ही तुम|

Sunday, January 25, 2009

ख़ुदा से इश्क

इश्क करने में तो वहदत का मज़ा मिलता है,
इश्क सच्चा हो तो बन्दे को ख़ुदा मिलता है|

इश्क करने का मज़ा हमने तो देख लिया,
जिस जगह सजदा किया तुझको वहीँ देख लिया|

इश्क में बू-ऐ-किब्रियाई की,
इश्क जिसने किया खुदाई की|

इश्क शाहों से ना छूटा, ना गदा से छूटा,
हमसे क्या छूटेगा, जब ये ख़ुदा से ना छूटा|

जिसको देखो वो, नज़र आता है दीवाना तेरा|
और वाह क्या अंदाज़ है, ए पीर-ऐ-मयखाना तेरा|

ये भी एक एजाज़ है, ए पीर-ऐ-मयखाना तेरा,
और बज्म में बेपाँव के, चलता है पैमाना तेरा|

दैर में ढूंढा, ना पाया, और ना काबे में मिला,
अरे ठोकरें खिलवा रहा, है कहाँ तू ए ख़ुदा|

दिल भी हाज़िर जां भी हाज़िर, सर भी हाज़िर है तेरे,
और इस से बढ़ कर तू बता दे, क्या है नज़राना तेरा|

तेरे हरजाई पने की हर जगह पे धूम है.
ए सनम, मेरे सनम, ए सनम,
मुश्किल से मुश्किल है पता पाना तेरा|

Saturday, January 24, 2009

हुसैन फ़कीर : रहिये वो नाल सजण दे रहिये वो

तू ही ताणा, तू ही बाणा,
कहे हुसैन फ़कीर ने माणा|
मैं नहीं, (सदर) सब तू|
रहिये वो नाल सजण दे रहिये वो,
लख लख वधियाँ दस्सा ताणे,
सब्बो सिर ते सहिये वो|
रहिये वो नाल सजण दे रहिये वो|
चंदन रुख लगा विच वेड़े,
ज़ोर तिहाडे खैय्ये वो|
रहिये वो नाल सजण दे रहिये वो|
तोड़े सिर बन्जे तड़ नालों,
ता विं हाल ना कहिये वो|
रहिये वो नाल सजण दे रहिये वो|
कहे हुसैन फ़कीर साईं दा,
जीव ते अमर रहिये वो|
रहिये वो नाल सजण दे रहिये वो|

Thursday, January 22, 2009

सब गन्दा है पर धंधा है यह from Movie Company

वोट में नोट, धोती पे है खोट, दिल पे चोट 
मतलब के यार, आगे से प्यार, पीछे से वार
 
सब गन्दा है पर धंधा है यह|

चंदन सा बदन, चंचल चितवन, यारों से जलन, 

हड्डी पसली एक, सीधा साधा पेट, दोनों घुटने टेक 
बातों की धार, हाथों में तार, एक और दो चार 
सब गन्दा है, पर धंधा है यह|

बदले की मिठास, गुस्से का गिलास, कुँए जैसी प्यास  
सब गन्दा है पर धंधा है यह|

Sunday, January 18, 2009

खुस्रो : माशा-अल्लाह क्या लिखा है

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाय के,
नैना मिलाय के मोसे सैना मिलाय के|
प्रेम भट्टी का मदवा पिलाय के मतवारी कर दीनी रे,
मोसे नैना मिलाय के|
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बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा,
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"ऐसी रंग दो की रंग नाहीं छूटे,
धोबिया धोले चाहे सारी उमरिया"
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बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा,
अपनी सी रंग दीनी रे मोसे नैना मिलाय के|
------------------------------------------------------------ गोरी गोरी बैय्याँ हरी हरी चूडियाँ,
बैयाँ पकड़ हर लीनी, मोसे नैना मिलाय के|
--------------------------------------------- खुस्रो निज़ाम ,के बल बल जैय्याँ,
मोहे सुहागन कीनी जी मोसे नैना मिलाय के| ----------------------------------------------

away from all emotions and bonds: Its a real bliss

आओ सखी मिल चौसर खेले, पिया अपने के साथ|

जीती तो पिया मिलेंगे, हारी तो पिया के हाथ||


here piya is symbolic to "Knowledge of existence"

Sunday, January 11, 2009

मेरा क्या था तेरे हिसाब में

मेरा क्या था तेरे हिसाब में,
मेरा साँस साँस उधार था,
जो गुज़र गया वो तो वक्त था,
जो बचा रहा वो गुब्बार था||

जब भी आंखों में अश्क भर आए

जब भी आंखों में अश्क भर आए,
लोग कुछ डूबते नज़र आए||

मुद्दते हो गई सहर देखे,
कोई आहट कोई ख़बर आए||

चाँद जितने भी गुम हुए शब् के,
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आए||

मुझको अपना पता ठिकाना मिले,
वो भी एक बार मेरे घर आए||

कोई अटका हुआ है पल शायद

कोई अटका हुआ है पल शायद,
वक्त में पड़ गया है बल शायद||

आ रही है जो चाप क़दमों की,
खिल रहे हैं कहीं कवँल शायद||

दिल अगर है तो दर्द भी होगा,
इसका कोई नहीं है हल शायद||

राख को भी कुरेद कर देखो,
अब भी जलता हो कोई पल शायद||

सहमा सहमा सा

सहमा सहमा सा डरा सा रहता है,
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है,

काई सी जम गई है आंखों पर,
सारा मंज़र हरा सा रहता है||

एक पल देख लूँ तो उठता हूँ,
जल गया सब, ज़रा सा रहता है||

इश्क में और कुछ नहीं होता,
आदमी बावरा सा रहता है||

Thursday, January 8, 2009

जुस्तजू जिसकी थी

जुस्तजू जिसकी थी, उसको तो ना पाया हमने,
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने||

तुझको रुसवा ना किया, ख़ुद भी पशेमा ना हुए,
इश्क की रस्म को इस तरह निभाया हमने||

कब मिली थी कहाँ बिछड़ी थी,हमें याद नहीं, 
जिंदगी तुझको तो बस ख्वाब में देखा हमने||  

उम्र का लंबा सफर तय किया तन्हा हमने||

जुस्तजू जिसकी थी, उसको तो ना पाया हमने,
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने||