Sunday, May 31, 2009

हसरत-ए-दीद में गुजरां हैं:Lyrics by Faiz

हसरत-ए-दीद में गुजरां हैं, ज़माने कब से
दश्त-ए-उम्मीद में गर्दां हैं दीवाने कब से

देर से आँख पे उतरा नहीं अश्कों का अज़ाब
अपने ज़िम्मे है तेरा क़र्ज़ न जाने कब से

किस तरह पाक हो बेआरजू लम्हों का हिसाब
दर्द आया नहीं दरबार सजाने कब से

सुर करो साज़ की छेडें कोई दिलसोज़ ग़ज़ल
ढूंढता है दिले-शोरीदा बहाने कब से

पुर करो जाम के: शायद हो इसी लहज़ा रवां
रोक रक्खा है जो इक तीर क़ज़ा ने कब से

"फैज़" फिर कब किसी मक़तल में करेंगे आबाद
लब पे वीरां हैं शहीदों के फ़साने कब से

हसरत-ए-दीद

Here is one of the recent music compositions which I did. The lyrics is written by "Faiz". 
You can listen to this at following web-link

Sunday, May 10, 2009

Vacuum: as stated by Paul Dirac Sir

A perfect vacuum is a region where all the states of positive energy are unoccupied and all those of negative energy are occupied. & this was stated when Dirac sir was formalizing the relativistic quantum theory of the electron. (interested people can refer pg. 275 of  his book, titled "The Principle of Quantum Mechanics").

Sunday, May 3, 2009

कुछ अल्फाज़

मरहूम ख्यालात जब भी मचल उठते हैं,
माहताब-ओ-आफ़ताब का फ़ासला बढ़ाने को जी चाहता है| --रावत

कुछ तो सिला दे मेरी वफ़ा का,
जो तू ज़िन्दगी ना दे सका, मौत ही अदा कर| --रावत

ये क्या जगह है दोस्तों

ये क्या जगह है दोस्तों, ये कौनसा दयार है,
हद-ए-निगाह तक, जहाँ गुःबार ही गुःबार है|

ये किस मकांॅम पे हयात, मुझ को ले के आ गयी,
ना बस ख़ुशी पे है जहाँ, ना ग़म पे इख्तियार है|

तमाम उम्र का हिसाब माँगती है ज़िन्दगी,
ये मेरा दिल कहे तो क्या, की खुद से शर्म सार है|

बुला रहा है कौन मुझको, चिलमनों के उस तरफ,
मेरे लिए भी क्या कोई?, उदास, बेकरार है..............

बुला रहा है कौन मुझको, चिलमनों के उस तरफ,
मेरे लिए भी क्या कोई?, उदास, बेकरार है.......