Saturday, December 27, 2008

शहर के दुकाँ दारों

शहर के दुकाँ दारों, कारोबार-ऐ-उल्फ़त में,
सूद क्या है, ज़ियाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे|
दिल के दाम कितने है, ख्वाब कितने महेंगे है,
और लख्त-ऐ-जाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे|

कोई कैसे मिलता है, फूल कैसे खिलता है,
आँख कैसे झुकती है, साँस कैसे रूकती है,
कैसे रह निकलती है , कैसे बात चलती है,
शौक की ज़बाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे|

वस्ल का सुकूँ क्या है, हिज्र का जुनूँ क्या है,
हुस्न का खुसूं क्या है, इश्क के दरूं क्या है,
तुम मरीज़-ऐ-जानाइ, मश्ल्हत के शेदाई,
राह-ऐ-गुमराह क्या है, तुम ना जान पाओगे|

जख्म कैसे फलते है, दाग कैसे जलते है,
दर्द कैसे होता है, कोई कैसे रोता है,
अश्क क्या है, नाले क्या,
दश्त क्या है, छाले क्या,
आह क्या है, फ़नाह क्या है,
तुम ना जान पाओगे|

जानता हूँ मैं तुमको, ज़ौक-ऐ-शायरी भी है,
सख्शियत सजाने में एक ये माहिरी भी है,
फिर भी हर्फ़ चुनते हो, सिर्फ़ लफ्ज़ सुनते हो,
इनके दरमियाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे|

शहर के दुकाँ दारों, कारोबार-ऐ-उल्फ़त में,
सूद क्या है, ज़ियाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे||

Monday, December 15, 2008

वाह क्या बात !!!

हमरी अटरिया पे आ जा रे सांवरिया,
देखा देखि तनिक हुई जाए|

नैन मिल जाई है, नज़र लड़ जाई है,
सब दिल का झगड़ा ख़तम हुई जाई है|

हम तुम है भोले, जग है जुल्मी,
प्रीत को पाप कहता है अधर्मी,
जग हँसी है तुम्ही ना हसियो,
तुम हसियो तो जुलम हुई जाई है|

Sunday, December 14, 2008

"Numbers : A Good Deal"

A small thought of my mind which I would want to share on web....
Here it is.....
Numbers can emulate almost any behavior of any process of this universe....and according to me science is the way to find a set or progression of those representative numbers specific to considered process, for humans to become more comfortable with the existance of the phenomenon or process in nature naturally......When I thought about the constant "c" - speed of light....you believe it or not its just a holy number (do not ask tell me the exact value...thats a silly question) decided by the creator....and with the comfort of this constant just as a very specific number, solves a lot of mysterious thoughts of my mind....and this good interpretation is what is GOD for me....I do science all the time....but if I keep creator apart from all my constructs...my life becomes difficult....and so I keep believeing that ALMIGHTY exists....    

Sunday, December 7, 2008

म्हारा रमता जोगी

म्हारा रमता जोगी,
आज्यो मीरां बाई रे देस|

थारी थारी खातिर दहीड़ो बिलोयो,
कर के गुजरिया रो भेष|

थारी थारी खातिर बाग़ लगाया,
कर के मालणिया रो भेष|

सुन चरखे दी मिट्ठी मिट्ठी घूक

सुन चरखे दी मिट्ठी मिट्ठी घूक,
माहिया मैनू याद आवदा,
मेरे दिल विचुं उट्ठ दी है हूक|
माहिया मैनू याद आवदा,
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मेरी ईद वाला चाँद कदों चढ़ेगा?
अल्लाह जाणे माही कदे वेद्दे वड्ड़ेगा,
दुःख द्दादे ने ते जिंदड़ी मलूक,
माहिया मैनू याद आवदा|
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ताने मार दी वे अपणे शरीक वे,
लिख् चिट्ठी विच आण दी तारीख वे,
काली रात वाली दंगे मैंनू शूल,
माहिया मैनू याद आवदा|
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माही आवेगा ते खुशिया मनावांगी,
माही आवेगा, माही आवेगा, माही आवेगा|
औधे राहां विच अंखिया बिछावंगी,
जान छड्डी ये बिछौड़ ना कूक,
माहिया मैनू याद आवदा,
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सुन चरखे दी मिट्ठी मिट्ठी घूक,
माहिया मैनू याद आवदा,
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