Sunday, June 14, 2009

डाची(दाची) वालेया मोड़ मुहार वे

डाची(दाची) वालेया मोड़ मुहार वे

तेरी डाची(दाची) दे गल विच टलिंयाँ (तालियाँ)
वे मैं पीर मनावण चलियाँ
सानू ले चल अपणे नाल वे

तेरी डाची(दाची) दे गल विच ढोलणाँ
कूड़े सजना दे नाल नय्यों बोलणा
दिल कड्ड के ले गयो नाल वे

तेरी डाची(दाची) दे गल विच हँसियाँ
मोहे छोड़ के लँग गयी कस्सियाँ
साड्डा हाल कीतो बेहाल वे

Saturday, June 13, 2009

मेंडा इश्क वीं तू मेंडा यार वीं तू

काले मेंडे कपड़े, ते काला मेंडा भेष,
गुनाही भरिया मैं फिरां लोग कहे दरवेश

उट्ठ फ़रीदा सुतेया, दुनिया देखण जाय
जे कोई मिलया जाय बक्शिया, तो तू भी बक्शिया जाय

मेंडा इश्क वीं तू मेंडा यार वीं तू
मेंडा दीन वीं तू ईमान वीं तू
मेंडा जिस्म वीं तू, मेंडा रूह वीं तू
मेंडा अल्ग वीं तू, जींद-जाँ वीं तू
कुरान वीं तू, मेंडा क़ाबा किबला, मस्जिद मंदिर,
मेंडे फ़र्ज़ फरिज़े हज्ज ज़काता, सौं-ओ-सलात अजान वीं तू...

Daai Halima: when Mohammad comes

हूर-ओ-मलिक झूम उठे, हक ने जारी फरमान किया
रेगिस्तान-ए-अरब को जिस ने रश्क-ए-बहरिस्तान किया
जश्न मनाओ! कुदरत ने हर मुश्किल को आसान किया
अर्श ने यह खुश-खबरी भेजी, ज़मीन ने यह ऐलान किया

अब्दुल्लाह के घर से जहां में नूर बिखरने वाला है
दाई हलीमा गो़द में तेरी चाँद उतरने वाला है

खुश हुए जिन्–ओ–बशर, सुन के ये नेक खबर
मेहरे ताजिम-ओ-अदब, झुक गए शम्स-ओ-कमर
बाम अरमान के सजे, रूह के साज़ बजे
चाँद ने हँसकर कहा, मेहरे ताजीम झुका
सुन ले मौला यह दोहा, कर दे राह उसकी पनाह
उसके कदमों में बिछा जिसपे तू खुद है फ़िदा

कहकशां बोल उठी, मौला अरमान है यही
उसकी में राह बनूँ, उसकी ठोकर में रहूँ
मेरे उपर वो चले, आये दिन मेरे भले
ज़िन्दगी फुले फले, उसकी न-लें त'ले

फूल को उसकी तलब, शाख को उसका अदब
सब तलबगार होय, उसके बीमार होय
अमन गो़द मेरी, अपने जलवों से भरी
ए हलीमा तू मचल, नाज़ कर तू झूम के चल
वो नबी प्यारा नबी, मुन्तजिर जिस के सभी
आने वाला है वोही, आने वाला है वोही


तो झूम री दुनिया, तेरा मुक़द्दर आज सँवरने वाला है
दाई हलीमा गोद में तेरी चाँद उतरने वाला है

आये गा वो महबूब ए खुदा वो हमदम दावर आएगा
दुनिया जिसपर नाज़ करेगी ऐसा पयम्बर आएगा

ए प्यासी मखलूक ना घबरा, तुझ तक सागर आएगा
लेके मय-कौसर का प्याला, सकी-ए-कौसर आएगा
काँधे पर कमली डाले अल्लाह का दिलबर आएगा
अल्लाह का दिलबर आएगा

बार रबी-उल-अव्वल का दिन, सुबह के ठंडे साए
और शोर हुआ आफाक में हर-सो लो वो मोहम्मद आये
आये रे आये मोरे भाग जगाये
जब होय पैदा मोहम्मद मुस्तफा गोद में ले कर हलीमा ने कहा
आये रे आये मोरे भाग जगाये

हर इक से हलीमा कहती थी इस बच्चे को अल्लाह रखे
जिस दिन से विलादत पाई है गिब्रैल बराबर आते हैं
आये रे आये मोरे भाग जगाये
तो आये गा शाह जो सब की झोली भरने वाला है
दाई हलीमा गोद में तेरी चाँद उतरने वाला है
दाई हलीमा गोद में तेरी चाँद उतरने वाला है

नीम शब्, चाँद, ख़ुद-फ़रामोशी - by Faiz

नीम शब्, चाँद, ख़ुद-फ़रामोशी
महफ़िलें - हस्तो - बूद वीराँ है
पैकरे - इल्तिजा है ख़मोशी
बज़्मे - अंजुम फ़सुर्दा - सामां है

आबशारे - सुकूत जारी है
चार सू बे-खु़दी सी तारी है
ज़िन्दगी जुज़्वे-ख़्वाब है गोया
सारी दुनिया सराब है गोया

सो रही है घने दरख्तों पर
चांदनी की थकी हुई आवाज़
कहकशाँ नीम-वा निगाहों से
कह रही है हदीसे-शौके-नियाज़

साजे-दिल के ख़मोश तारों से
छन रहा है खुमारे-कैफ़ आगीं
आरज़ू ख्वाब, तेरा रू-ए-हसीं