सूद क्या है, ज़ियाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे|
दिल के दाम कितने है, ख्वाब कितने महेंगे है,
और लख्त-ऐ-जाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे|
कोई कैसे मिलता है, फूल कैसे खिलता है,
आँख कैसे झुकती है, साँस कैसे रूकती है,
कैसे रह निकलती है , कैसे बात चलती है,
शौक की ज़बाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे|
वस्ल का सुकूँ क्या है, हिज्र का जुनूँ क्या है,
हुस्न का खुसूं क्या है, इश्क के दरूं क्या है,
तुम मरीज़-ऐ-जानाइ, मश्ल्हत के शेदाई,
राह-ऐ-गुमराह क्या है, तुम ना जान पाओगे|
जख्म कैसे फलते है, दाग कैसे जलते है,
दर्द कैसे होता है, कोई कैसे रोता है,
अश्क क्या है, नाले क्या,
दश्त क्या है, छाले क्या,
आह क्या है, फ़नाह क्या है,
तुम ना जान पाओगे|
जानता हूँ मैं तुमको, ज़ौक-ऐ-शायरी भी है,
सख्शियत सजाने में एक ये माहिरी भी है,
फिर भी हर्फ़ चुनते हो, सिर्फ़ लफ्ज़ सुनते हो,
इनके दरमियाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे|
शहर के दुकाँ दारों, कारोबार-ऐ-उल्फ़त में,
सूद क्या है, ज़ियाँ क्या है, तुम ना जान पाओगे||