Saturday, December 17, 2011

Sunday, March 27, 2011

Saturday, May 1, 2010

कटाक्ष (Satire)

सूरत जहाँ की खूब सयानी|
ज़र्रा ज़र्रा रब दी निशानी||

तेरा आलम शत-सौ हज़ारां,
पावे ज्यूँ ज्यूँ बढ़े विस्तारा|
एक आलम ते सब सध जावे,
गोरख धंधा खूब सँवारा||

सूरत जहाँ की खूब सयानी|
ज़र्रा ज़र्रा रब दी निशानी||

लेखक- रावत

The Age of An Eye: A Painting by Rawat