मालिक-उल-मुल्क, लाशरीका लहू
वहादहू ला इलाहा इल्लाहू
शम्स तबरेज़ गर खुदा तलबी
खुशबू खुवन ला इल्लाह इल्लाहू
कौनैन का मस्जूद नै मा'बूद है तू
हर शय तेरी शाहिद है के मशहूद है तू
हर एक के लब पर है तेरी हम्द-ओ-सना
हर सोज़ में हर साज़ में मौजूद है तू
तेरे ही नाम से हर इब्तिदा है
तेरे ही नाम पर तक इंतिहा है
तेरी हम्द-ओ-सना अल्हम्दुलिल्लाह
की तू मेरे मोहम्मद का खुदा है|
Thursday, November 27, 2008
Wednesday, November 19, 2008
"Sufiana":Its magic to live life in the search of that "Creator" "The governer of this universe and beyond"
http://in.youtube.com/watch?v=jo0EqAWHGdg
कभी यहाँ तुम्हे ढूँढा, कभी वहाँ पहुँचा,
तुम्हारी दीद की खातिर कहाँ कहाँ पहुँचा,
गरीब मिट गए, पामाल हो गए, लेकिन,
किसी तलक ना तेरा आज तक निशाँ पहुँचा,
हो भी नहीं, और हर जहाँ हो,
तुम इक गोरख धंधा हो||
हर ज़र्रे में किस शान से तू जलवानुमा है,
हैराँ है मगर अक्ल की तू कैसा है, क्या है?
तुझे देरो-हरम में मैंने ढूँढा, तू नही मिलता,
मगर तशरीफ़ फरमा तुझको अपने दिल में देखा है|
तुम इक गोरख धंधा हो|
जब की तेरे सिवा कोई दूसरा मौजूद नहीं,
फिर समझ में आता नहीं तेरा परदा करना|
जो उल्फ़त में तुम्हारी खो गया है,
उसी खोये हुए को कुछ मिला है,
ना बुत-खाने में, ना काबे में मिला है,
मगर टूटे हुए दिल में मिला है,
अदम बन कर कहीं तू छुप गया है,
कहीं तू हस्रः बन कर आ गया है,
नहीं है तू तो फिर इनकार कैसा?
नहीं भी तेरे होने का पता है,
मैं जिसको कह रहा हूँ अपनी हस्ती,
अगर वो तू नहीं तो और क्या है,
नहीं आया ख्यालों में अगर तू,
तो फिर मैं कैसे समझा तू खुदा है,
तुम एक गोरख धंधा हो|
Saturday, November 8, 2008
कोई नहीं
बजाए (instead of), प्यार की शबनम, मेरे गुलिस्तान में, बरसते रहते हैं हर सिंथ मौत के साए, सियाहियों से उलझ पड़ती हैं मेरी आँखें, कोई नही, कोई भी नही, जो बतलाये कितनी दूर उजालो की रातें है,
कोई नहीं, है कोई भी नही, ना पास, ना दूर,
एक यार है, दिल की धड़कन,अपनी चाहत का जो ऐलान किए जाती है,
ज़िंदगी है जो जिए जाती है, खून के घूँट पिए जाती है, ख्वाब काँटों से सिये जाती है||
Sunday, November 2, 2008
मन में राखूं तो मोरा मन जले
मन में राखूं तो मोरा मन जले, कंहू तो मुख जल जाये|
जैसे गूंगे को सपनो भयो समझ समझ पछताय||
प्रीतम हम तुम एक है, कहन सुनन में दोय|
मन को मन से तोलिये,दो मन कभी ना होय||
जादू की पुडिया, भर भर मारे |
काहे करे वेद बिचारा रे||
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