चला गया मुझे वो कितनी जुदाइयाँ दे कर,
चलो हर्फ़-ए-तमन्ना उसी के नाम करे,
के जिस ने क़ैद किया है रिहाइयाँ दे कर,
मगर वहाँ तो वही ख़मोशी का पहरा था,
मैं आ गया तेरे दर से, दुहाईयाँ दे कर,
अजीब शख्स के वो मुझ से बद-गुमाँ ही रहा,
के जिसको पाया था मैंने खुदाइयाँ दे कर,
हूँ कितना सादा समझता था बच रहूँगा सफी,
ख्याल-ए-यार को शोला नवाइयां दे कर
ज़रा सी बात पे वो जग हंसाइयाँ दे कर,
चला गया मुझे वो कितनी जुदाइयाँ दे कर,
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