आखिर इस दर्द की दवा क्या है!
हम हैं मुश्ताक और वो बेज़ार,
या इलाही ये माज़रा क्या है!
सब्ज़ा-ओ-गुल कहाँ से आये हैं,
अब्र क्या है, हवा क्या है!!! दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है!
जान तुम पे निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता वफ़ा क्या है?
जब की तुझ बिन नहीं कोई मौजूद,
फिर ये हंगामा, ए खुदा क्या है!!!
मैंने माना की कुछ नहीं ग़ालिब
मुफ़्त हाथ आये तो बुरा क्या है!!!! दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है!
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