वो चरागाँ किया आँखों ने सरे शाम की बस,
याद क्या जानिए वो कौनसी बात आई है,
दिल ने फिर आज उठाया है वो कोहराम की बस,
एक दमकता हुआ तारा सरे मिजेगाहाँ आया,
उसने आँखों से दिया था कोई पैगाम की बस,
हम भी सुनते हैं की नाज़ाँ है बहुत हुस्न पे चाँद,
एक नज़र देख तो ले तुझको लगे बाम के बस,
सांस लेना भी सफी बाइशे-आज़ार हुआ,
वो लगे दिल पे, तेरे हिज्र में, इल्जाम की बस,
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