ना रही दस्त-ऐ-खाली कोई जाँ मेरे बाद ||
वो हवा का ही चमन हूँ, के चमन में हर सुबह |
पहले मैं जाता था, और बाद-ऐ-सबा मेरे बाद ||
तेज़ रखना सर-ऐ-हर खार को ए दस्त-ऐ-जुनूँ |
शायद आ जाए कोई आबलाप मेरे बाद ||
तहे शमशीर यही साच है मक्कल में मुझे,
देखिये अब किसे लाती है कज़ा मेरे बाद ||
बाद मरने के मेरी कब्र पे आया वो "मीर" |
याद आई मेरे क़ातिल को वफ़ा मेरे बाद ||
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