बात से गहरा, छिपा हुआ वो, बात में एक अहसास है||
जहाँ धरा से गगन मिले वो, क्षितिज उसका प्रमाण है|
वहीं शून्य से छल करता वो, असीम अनंत निर्वाण है||
वर्षा की बूंदों से गीली होकर बहती हुई पवन|
पंछी के कलरव हेतु धुन, और वृक्षों की जो ताल है||
ART
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