Friday, October 3, 2008

ख़ास-बात by रावत

तब से अब तक, तल से नभ तक, बात एक जो ख़ास है| 
बात से गहरा, छिपा हुआ वो, बात में एक अहसास है||  

जहाँ धरा से गगन मिले वो, क्षितिज उसका प्रमाण है| 
वहीं शून्य से छल करता वो, असीम अनंत निर्वाण है|| 
वर्षा की बूंदों से गीली होकर बहती हुई पवन| 
पंछी के कलरव हेतु धुन, और वृक्षों की जो ताल है||

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