Thursday, November 27, 2008

मालिक-उल-मुल्क

मालिक-उल-मुल्क, लाशरीका लहू
वहादहू ला इलाहा इल्लाहू
शम्स तबरेज़ गर खुदा तलबी
खुशबू खुवन ला इल्लाह इल्लाहू

कौनैन का मस्जूद नै मा'बूद है तू
हर शय तेरी शाहिद है के मशहूद है तू
हर एक के लब पर है तेरी हम्द-ओ-सना
हर सोज़ में हर साज़ में मौजूद है तू

तेरे ही नाम से हर इब्तिदा है
तेरे ही नाम पर तक इंतिहा है
तेरी हम्द-ओ-सना अल्हम्दुलिल्लाह
की तू मेरे मोहम्मद का खुदा है|

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