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Thursday, May 13, 2010
Saturday, May 1, 2010
कटाक्ष (Satire)
सूरत जहाँ की खूब सयानी|
ज़र्रा ज़र्रा रब दी निशानी||
तेरा आलम शत-सौ हज़ारां,
पावे ज्यूँ ज्यूँ बढ़े विस्तारा|
एक आलम ते सब सध जावे,
गोरख धंधा खूब सँवारा||
सूरत जहाँ की खूब सयानी|
ज़र्रा ज़र्रा रब दी निशानी||
लेखक- रावत
Tuesday, January 26, 2010
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